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इन हालातों में संभोग करना हो सकता है नुकसानदायक – आयुर्वेद की चेतावनी

इन परिस्थितियों में न करें संभोग" – आयुर्वेद के अनुसार ज़रूरी सावधानियाँ



संभोग केवल शारीरिक सुख का माध्यम नहीं, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करता है। आयुर्वेद में संभोग से जुड़ी कई सावधानियाँ बताई गई हैं, जो यदि न मानी जाएं, तो शरीर की ऊर्जा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक संतुलन पर बुरा असर पड़ सकता है।

किन परिस्थितियों में संभोग से बचना चाहिए?

1. अत्यधिक थकान या मेहनत के बाद :
शरीर जब थका हुआ होता है, तब ऊर्जा का स्तर कम होता है। इस स्थिति में संभोग करने से शारीरिक दुर्बलता और मांसपेशियों की थकान और बढ़ सकती है।

2. बीमारी या संक्रमण की स्थिति में
किसी भी प्रकार की बीमारी (जैसे बुखार, सर्दी-जुकाम, संक्रमण आदि) के दौरान संभोग से बचना चाहिए। इससे शरीर की रिकवरी धीमी हो जाती है और इम्यून सिस्टम पर ज़्यादा दबाव पड़ता है।

3. देर रात या बार-बार संभोग
अत्यधिक या बार-बार संभोग करने से वीर्य की हानि होती है, जिससे शरीर में कमजोरी, थकान, और मानसिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। आयुर्वेद में संयम और संतुलन को सबसे बड़ी शक्ति माना गया है।

4. उपवास या भूखे पेट
जब शरीर को पोषण नहीं मिला होता, उस समय संभोग करने से कमजोरी, चक्कर और थकावट की संभावना बढ़ जाती है।

5. भारी भोजन करने के तुरंत बाद
भोजन के तुरंत बाद शरीर पाचन क्रिया में लगा होता है। इस समय संभोग करने से ना सिर्फ अपाचन की समस्या हो सकती है, बल्कि यह ऊर्जा के संतुलन को भी बिगाड़ सकता है।

6. मानसिक तनाव या चिंता की स्थिति में
आयुर्वेद कहता है कि मानसिक स्थिति भी संभोग पर गहरा प्रभाव डालती है। तनाव, अवसाद या बेचैनी के समय संभोग करने से मन और शरीर दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

संभोग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि यह संपूर्ण स्वास्थ्य, भावनात्मक जुड़ाव और मानसिक संतुलन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा, दोनों इस बात को मानते हैं कि नियमित, संतुलित और सुरक्षित संभोग से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

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