हार्ट अटैक का इलाज बिना ऑपरेशन: जानिए महर्षि वागभट्ट का 3000 साल पुराना आयुर्वेदिक रहस्य
भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में हज़ारों सालों पहले ही ऐसी जानकारियाँ दर्ज हैं जो आज भी विज्ञान को चौंका देती हैं। महर्षि वागभट्ट, जो लगभग 3000 साल पहले हुए थे, उन्होंने एक महान ग्रंथ लिखा था – अष्टांग हृदयम। इस ग्रंथ में उन्होंने 7000 सूत्रों के माध्यम से विभिन्न बीमारियों का इलाज बताया। आज हम बात करेंगे – हार्ट अटैक का सरल और प्राकृतिक समाधान जो उन्होंने बताया था। (heart blockage treatment in ayurveda)
हार्ट अटैक का असली कारण: रक्त में अम्लता (Blood Acidity)
महर्षि वागभट्ट के अनुसार, यदि हृदय (Heart) की नलियों में ब्लॉकेज हो रहा है, तो इसका कारण है – रक्त में बढ़ी हुई अम्लता (blood acidity)। आधुनिक विज्ञान में इसे आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद इसे हार्ट अटैक का मूल कारण मानता है।अम्लता दो प्रकार की होती है:
- पेट की अम्लता (Stomach Acidity): जलन, खट्टी डकार, उल्टी जैसा अनुभव।
- रक्त की अम्लता (Blood Acidity): जब पेट की अम्लता लगातार बनी रहती है, तो यह रक्त में मिल जाती है, जिससे ब्लड thick और corrosive बनता है।
नतीजा?
- यह अम्लीय रक्त हृदय की नलियों से नहीं निकल पाता।
- और वहीं ब्लॉकेज (Blockage) पैदा हो जाता है।
- यही है हार्ट अटैक (Heart Attack) का असली कारण।
समाधान: क्षारीय चीजों का सेवन करें
आयुर्वेद कहता है कि जब रक्त में अम्लता बढ़े, तो उसका संतुलन केवल क्षारीय (alkaline) आहार से किया जा सकता है।अम्ल + क्षार = न्यूट्रल
जब आप अम्लीय रक्त को क्षारीय चीजों से संतुलित करते हैं, तो हार्ट अटैक की संभावना खत्म हो जाती है।
सबसे शक्तिशाली क्षारीय औषधि: लौकी का रस
भारत के हर रसोई में मिलने वाली लौकी (bottle gourd) को आयुर्वेद में सबसे श्रेष्ठ क्षारीय औषधि माना गया है। यह रक्त की अम्लता को तेज़ी से कम करती है।कैसे करें सेवन?
200 से 300 मिलीग्राम लौकी का ताजा रस निकालें।इसमें मिलाएं:
- 7-10 तुलसी के पत्ते
- 7-10 पुदीने के पत्ते
- थोड़ा सेंधा या काला नमक (आयोडीन युक्त नमक न डालें)
कब पिएं?
- सुबह खाली पेट (toilet के बाद)
- या नाश्ते के 30 मिनट बाद
- 21 दिनों में असर दिखने लगता है
- 2 से 3 महीने में ब्लॉकेज पूरी तरह साफ हो सकता है
- बिना ऑपरेशन, बिना दवा, केवल घरेलू उपाय से
निष्कर्ष:
आयुर्वेद ( Ayurved) से बचाएं दिल की बीमारी
आयुर्वेद केवल इलाज नहीं,जीवन जीने की एक कला है। महर्षि वागभट्ट जैसे ऋषियों की बातें आज भी प्रासंगिक हैं। यदि हम इनके बताए मार्ग पर चलें, तो बड़ी से बड़ी बीमारी से बच सकते हैं।
लौकी का रस पीजिए, दिल को दुरुस्त रखिए!
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